Add To collaction

14. चुपके चुपके रात दिन

*आधे-अधूरे मिसरे-14*
~~~~~~~~~~~~
*चुपके चुपके रात दिन*
~~~~~~~~~~~~

चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है।
हम पे जो गुज़रा है हमको वो ज़माना याद है।

अपनी आँखों में बसा के एक चेहरा रात दिन,
याद में उनकी जहां सारा भुलाना  याद है।

फूल से रुखसार पर जलते हुए आँसू कभी,
आए जब भी उनका फिर, हमसे छिपाना याद है।

जब नज़र हम से मिले, नज़रें चुरा लेते थे जो,
इस तरह से आपका हमको सताना याद है।

हाय कितनी ज़िंदगी मसरूफ़ कर बैठे थे हम,
उनकी गलियों से मुसलसल, जाना आना याद है।

फ़राज़ (क़लमदराज़)
S.N.Siddiqui
@seen_9807

   19
1 Comments

बहुत ही सुंदर और बेहतरीन अभिव्यक्ति

Reply